The Ultimate Guide To Shodashi

Wiki Article



॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥

साहित्याम्भोजभृङ्गी कविकुलविनुता सात्त्विकीं वाग्विभूतिं

Matabari Temple is a sacred put the place people today from distinctive religions and cultures Acquire and worship.

The Devas then prayed to her to ruin Bhandasura and restore Dharma. She is believed to obtain fought the mom of all battles with Bhandasura – some scholars are of your perspective that Bhandasura took different sorts and Devi appeared in numerous sorts to annihilate him. At last, she killed Bhandasura with the Kameshwarastra.

ह्रीं ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं

ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।

She is a component in the Tridevi and the Mahavidyas, representing a spectrum of divine femininity and affiliated with each mild and fierce areas.

बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।

देवस्नपनं मध्यवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

She's depicted being a sixteen-year-previous girl having a dusky, pink, or gold complexion and a 3rd eye on her forehead. She is probably the 10 Mahavidyas and it is revered for her attractiveness and electric power.

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी अपराध क्षमापण स्तोत्रं ॥

The here reverence for Tripura Sundari transcends mere adoration, embodying the collective aspirations for spiritual development as well as attainment of worldly pleasures and comforts.

वन्दे वाग्देवतां ध्यात्वा देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१॥

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

Report this wiki page